रायपुर। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने निर्णय में आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित समूह के बच्चों को जो आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित है, उन्हें ऑनलाईन क्लासेस के लिए मोबाईल और डाटा की व्यवस्था कराने प्रायवेट स्कूलों को निर्देशित किया गया है, जिसके पश्चात अब छत्तीसगढ़ में भी आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित बच्चों को मोबाईल और डाटा प्रदान करने की मांग उठने लगी है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित समूह के 2.85 लाख बच्चें जो कि आरटीई के अंतर्गत 6500 प्रायवेट स्कूलों में प्रवेशित है उनकी समुचित व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।
श्री पॉल का कहना है कि आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित समूह के 2.85 लाख बच्चें जो कि आरटीई के अंतर्गत 6500 प्रायवेट स्कूलों में प्रवेशित है, जिनके पास मोबाईल की सुविधा नहीं है जिसके कारण वे ऑनलाईन पढ़ाई और शिक्षा से वंचित है। जिसके संबंध में पूर्व में उनके द्वारा शिक्षा सचिव और संचालक को जानकारी दिया गया था, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा इन बच्चों के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं किया गया।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल के द्वारा पत्र लिखकर शिक्षा सचिव से यह मांग किया गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित समूह के 2.85 लाख बच्चें जो कि आरटीई के अंतर्गत 6500 प्रायवेट स्कूलों में प्रवेशित है उन्हें ऑनलाईन क्लासेस के लिए मोबाईल और डाटा तत्काल उपलब्ध कराया जावे, क्योंकि कई पालकों के पास की-पैड वाला परंपरागत मोबाईल है, जिससे ऑनलाईन पढ़ाई किया जाना संभव नहीं है, जिससे कारण भी कई बच्चे ऑनलाईन पढ़ाई से वंचित है। दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि ऑनलाईन पढ़ाई में भी बच्चों की पढ़ाई के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है, इसलिए बच्चों को मल्टी एज्युकेशन देने के लिए मोबाईल और डाटा उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
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